विद्युत उत्पन्न करने वाला जनित्र बनाना
विद्युत जनित्र किस सिद्धान्त पर कार्य करता है?-जब किसी तांबे की कुंडली जिसके दो सिरे किसी गैल्वनोमीटर से जुड़े हुए हों, उनमें से छड़ चुम्बक को तेज़ी से गुजारा जाता है तो विद्युत चुम्बक प्रेरण द्वारा विद्युत पैदा होती है। चुम्बक को जब कुंडली के अन्दर प्रविष्ट कराया जाता है तो विद्युत धारा कि दिशा कुछ होती है लेकिन जब चुम्बक को कुंडली से बाहर निकालते हैं तो विद्युत धारा की दि शा पहले के विपरीत हो जाती है।
उद्देश्य-विद्युत उत्पन्न करने वाला जनित्र बनाना।
आवश्यक सामान-एक गैल्वनोमीटर, तांबे का इनेमल्ड तार लगभग 10 मीटर, एक छड़ चुम्बक। विद्युत जनित्र बनाने की विधि-
(1) तांबे के तारों को एक लकड़ी की छड़ की सहायता से कुंडली के रूप में लपेट कर, लकड़ी बाहर निकाल कर कुंडली को अलग कर लो।
(2) कुंडली के तार के दो सिरे गैल्वनोमीटर से जोड़ दो।
(3) अब छड़ चुम्बक को कुंडली में तेजी से अन्दर प्रविष्ट कराओ। आप देखोगे कि गैल्वनोमीटर की सूई एक दिशा में विक्षेपित हो जाएगी। इससे सिद्ध होता है कि चुम्बक के प्रवेश कराने से बिजली उत्पन्न हो रही है इस प्रकार चुम्बक को जब कुंडली से बाहर निकाला जाएगा तो गैल्वनोमीटर की सूई दूसरी तरफ विक्षेपित हो जाएगी। इससे सिद्ध होता है कि कुंडली में चुम्बक की गति से विद्युत उत्पन्न होती है।
संसार के जितने भी विद्युत उत्पन्न करने वाले केन्द्र हैं उन सबमें चुम्बकीय क्षेत्र में कुंडली को घुमाया जाता है। इसी सिद्धान्त पर लाखों किलोवाट बिजली उत्पन्न की जाती है।
इस प्रयोग को सर्वप्रथम माइकल फैराडे ने वैज्ञानिकों की एक सभा में दिखाया था। उन्होंने तारों से बनी हुई एक कुंडली में एक चुम्बक को प्रविष्ट कराकर उसे बाहर निकाला। जब चुम्बक को कुंडली में प्रविष्ट कराते समय तथा निकालते समय दोनों ही बार गैल्वनोमीटर की सूई विक्षेपित हुई। इस प्रयोग को देखते हुए एक महिला ने इसको मजाक में लिया था और उसने कहा था कि यह कोई प्रयोग नहीं है। तो फैराडे ने उत्तर दिया था कि मैडम अभी यह प्रयोग अपनी अल्पायु में है जब यह बड़ा होगा तब आप इसके कार्यों को देख पाएंगी। और इसीलिए आज हम देखते हैं कि फैराडे की बात बिल्कुल सही निकली क्योंकि इस प्रयोग के फलस्वरूप आज सम्पूर्ण संसार में विद्युत निर्माण हो रहा है।