सूर्य उदय तथा अस्त होते समय लाल क्यों दिखाई देता है? WikiHow Hindi.

सूर्य उदय तथा अस्त होते समय लाल क्यों दिखाई देता है ?

सूर्य की किरणें वायुमण्डल में यात्रा करते समय वायु के अणु से छितर जाती हैं। यह विकिरण प्रकाश की तरंगदैर्ध्य तथा वायु के अणु के आकार पर निर्भर है। पृथ्वी का वातावरण मुख्यतः नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन का बना होता है जो लम्बी तरंगदैर्ध्य वाले प्रकाश की अपेक्षा लघु तरंगदैर्ध्य वाले प्रकाश को अधिक छितराता है।

surya uday hone par aasman laal kyo dikhai deta hai

सूर्य का प्रकाश मुख्यतः सात रंगों से मिलकर बना हुआ है। लाल रंग की तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक (लगभग 7,000 सें०) तथा वायलेट रंग की तरंगदैर्ध्य सबसे कम (लगभग 4,000 सें०) होती है। जैसे ही प्रकाश वायुमण्डल में प्रवेश करता है, नीला तथा वायलेट रंग बहुत दक्षता से विकीर्ण हो जाता है। जब सूर्य सिर के ऊपर होता है तो पीला रंग पर्याप्त मात्रा में नहीं छितर पाता। इन रंगों की किरणें प्रत्यक्षतः हम तक पहुच जाती है, जिसके शुद्ध प्रभाव से सूर्य पीला दिखाई देता है। दोपहर के समय सूर्य की किरणें 40 कि0मी0 मोटे वायुमण्डल से लम्बवत् भ्रमण करती हैं। इसके विपरीत अस्त अथवा उदय होते समय सूर्य की किरणों को वायुमण्डल से लगभग 700 कि०मी० की यात्रा करनी पड़ती है। इन दोनों दूरियों का अनुपात 1:18 है। इस प्रकार मध्याह्न सूर्य की अपेक्षा सूर्योदय व सूर्यास्त के समय किरणों का विकिरण अधिक होता है। पीले रंग की किरणें भी पूर्णतः छितर जाती है। संध्याकाल अथवा प्रातः काल सूर्य से प्रत्यक्षतः पहुंचने वाला प्रकाश लाल अथवा नारंगी रंग से अधिक प्रचुर होता है जिससे यह लाल दिखाई देता है।

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