स्त्रियों की अपेक्षा पुरुष अधिक लम्बे क्यों होते हैं ?
स्त्री और पुरुष की शारीरिक भिन्नता लिंग-हॉर्मोन की क्रिया पर निर्भर है। स्त्री में यौवनागम-परिवर्तन 10 से 14 वर्ष के मध्य में और पुरुषों में 11-19 वर्ष के मध्य में होते हैं। इन अवस्थाओं में जीन शरीर में प्रोटीन और न्यूक्लिइक अम्ल संश्लेषण और अन्त में समस्त शरीर की वृद्धि निर्धारण करते हैं। आहार और वातावरण भी वृद्धि को प्रभावित करते हैं। इस प्रक्रम में अग्र पीयूषिका ग्रन्थि, अबटु ग्रन्थि और इंसुलिन के हॉर्मोन भाग लेते हैं।
किशोरावस्था में वृद्धि के लिए वृषण में उत्पन्न होने वाला ऐन्ड्रोजन हॉर्मोन और स्त्रीत्व-निर्माण के लिए डिम्बग्रन्थि में स्रवित ईस्ट्रोजन उत्तरदायी हैं। मुख्यतः ये हॉर्मोन संबंधित लेंगिक अंगों का भार और आकार बढ़ाते हैं और अस्थि में कैल्सियम के जमाव को उत्तेजित करते हैं। लड़कों में लैंगिक प्रौढ़ता के पश्चात् अधिक भार उनकी भारी अस्थियों और मांसपेशियों के कारण होता है। इनका शरीर खुरदरा और पुष्ट हो जाता है। ईस्ट्रोजन के प्रभाव से स्त्रियों की लम्बी अस्थियों के बढ़ते हुए सिरे जुड़ जाते हैं और इनकी वृद्धि क्रमशः रुक जाती है जिसके परिणाम में स्त्रियों की दैहिक उच्चता कम रह जाती है। इस हॉर्मोन के प्रभाव से अवत्वक् ऊतकों, विशेषकर कूल्हा, जाँघए और स्तनों में वसा का संचय हो जाता है जिससे शरीर में स्त्रीत्व-विन्यास उत्पन्न हो जाता है। स्त्री का हृदय पुरुष के हृदय की तुलना में 10-15 प्रतिशत कम होता है। हृदय का मांसपेशी समूह पतला है जिससे इसकी क्षमता भी कम हो जाती है।