परमाणु बम कैसे विस्फोट करता है?
प्राकृतिक यूरेनियम तीन प्रकार के समस्थानिक (आइसोटोप) U234 , U235 , U238 का मिश्रण है। प्रत्येक आइसोटोप के रासायनिक गुण एक-समान होते हैं, इसलिए इनके मिश्रण को रासायनिक रीति द्वारा पृथक नहीं किया जा सकता। इनमें से U235 ही परमाणु बम्ब बनाने में प्रयुक्त होता है। दुर्भाग्यवश प्राकृतिक U235 की प्रतिशत मात्रा अत्यन्त सूक्ष्म होती है, 0. 7 प्रतिशत से भी कम । इनके भार में केवल तीन का अंतर है, इसलिए इन्हें पृथक् करना बहुत ही कठिन है।
जब एक न्यूट्रॉन U235 के न्यूक्लियस से टकराता है तो वह अवशोषित हो जाता है और तुरन्त इसके न्यक्लियस को विरूप करके इसे प्रायः समान नाभिक वाले परमाणु, बेरियम और क्रिप्टॉन में विच्छेद कर देता है। इस प्रक्रम में दो या तीन न्यूट्रॉन भी निकलते हैं। इन समस्त उत्पादकों के भार का योगफल U और एक न्यूट्रॉन के भारी के बराबर होता है। आइन्स्टीन के सिद्धान्त, E=mc2, के अनुसार भार में यह अन्तर ऊर्जा उत्पन्न होने के कारण है।
यूरेनियम के विस्फोट में उत्पन्न होने वाले तीन इलैक्ट्रॉन धातु तीन अन्य परमाणुओं से टकराकर नौ न्यूट्रॉन मुक्त करते हैं और इस प्रकार यह श्रृंखला अभिक्रिया निरन्तर जारी रहती है। कुछ ही क्षण में यूरेनियम के दस खरब न्यूक्लाई विखंडित होकर विशाल ऊर्जा मुक्त करते हैं। यदि यूरेनियम अल्प मात्रा में होता है तो विखण्डन से मुक्त हुए अधिकांश न्यूट्रॉन आगे विभाजन किये बिना ही निष्कासित हो जाते हैं। और प्रतिक्रिया शीघ्र ही समाप्त हो जाती है।
यूरेनियम की परमाणुशक्ति भट्टी में प्लुटेनियम (Plutanium, P235) उप-उत्पादक के रूप में प्राप्त होता है। प्लुटेनियम बम्ब अन्तःस्फोट के सिद्धान्त पर कार्य करता है। बम्ब में आमने-सामने रखे प्लुटेनियम के दो गोलार्द्ध होते हैं जिनके मध्य में बेरीलियम और पोलोनियम के कैप्सूल अलग अलग रखे जाते है। विघटन के समय दोनों तत्व मिश्रित होकर प्रचुर न्यूट्रोन उत्पन्न करते है। जो आगे विभंजन आरम्भ करके ऊर्जा मुक्त करते है।