मकड़ी अपना जाल कैसे बनाती है? WikiHow Hindi.

मकड़ी अपना जाल कैसे बनाती है?

Makdi apna jaal kaise banati hai wikihow hindi

मकड़ी के आमाशय के निचले भाग में स्थित सैंकड़ों विशिष्ट नन्हीं ग्रन्थियों से रेशम-जैसा चिपचिपा पदार्थ स्रवित होता है जो वायु के सम्पर्क मे आकर कठोर सूत्र मे परिवर्तित हो जाता हे। मकड़ी दौड़कर इसी द्रव से अपना जाल बनाती है। ग्रन्थियां स्तन के अग्रभाग जैसे अंगों पर खुलती है जिन्हें स्पिनरेट कहते हैं। जाल बुनने के प्रक्रम में मकड़ी आवश्यकता के अनुसार सूत्र की स्थूलता और प्रवाह को नियंत्रित कर सकती है।

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जाल आरम्भ करने के लिए मकड़ी रेशम के सूत्र चिपकाने के लिए किसी पत्ती, शाखा, पत्थर अथवा अन्य किसी वस्तु को जाल का प्रथम आधार बनाती है। इस तरह एक त्रिकोण अथवा वर्ग के आकार का जाल बनता है। जो बढ़कर बहुकोणीय रूप धारण कर लेता है। बाद में सूत्र आधारभूत मचान के एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक लगाए जाते हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि तीलियां जाल में स्वच्छ व समान दूरी पर डाली जाती हैं और गोंद की कीलें लगाई जाती हैं। तीलियों के आर-पार लगाए गए 20 से 40 सूत्र के चक्कर वृत्त को दृढ़ करते हैं। अन्त में जाल से लेकर मकड़ी के निवासस्थान तक एक टेलीग्राफ-रेखा डाली जाती है। युवा मकड़ी जाल के केन्द्र पर शिकार की प्रतीक्षा करती है। वृद्ध मकड़ी उपयुक्त निर्जन स्थान या दरार में विश्राम करना पसन्द करती है जो जाल से एक टेलीग्राफ -रेखा से जुड़ा होता हैं शिकार द्वारा जाल में होने वाला कम्पन मकड़ी को सतर्क कर देता है।

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