मधुमक्खियों को अपने छत्ते का ज्ञान कैसे होता है ?
रानी मक्खी में प्रतिदिन 3000 अंडे देने की क्षमता होती है। यह बड़ी संख्या में रासायनिक पदार्थ (फिरोमोन) उत्पन्न करती है जो मधुमक्खियों को विभिन्न कार्यों को करने मे यथोचित मार्गदर्शन करता है, अनुदेश देता है अथवा उन्हें करने से रोकता है।
मधुमक्खी अपनी नृत्य-भाषा के माध्यम से अपनी अनुचर मक्खियों को आहार के नये स्रोत की गुणवत्ता, मात्रा, दूरी तथा मधुछत्ते से दिशा की सूचना देती है। अन्य मधुमक्खियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए सुगन्ध विसर्जित करती है और वृत्ताकार बार-बार चक्कर लगाते हुए “गोल नृत्य” करती है। मधुमक्खियां उसका अनुसरण करती हुई इस संदेश का अर्थ ग्रहण कर लेती हैं कि आहार मधुछत्ते से 100 वर्ग मीटर तक के क्षेत्त में है। यदि आहार 2 कि. मी. की दूरी पर है तो वह झूला नृत्य प्रदर्शित करती है जिसमें वह मधुछत्ते के बाहरी हिस्से पर तेजी से भागती है या अपने पेट को झुलाते हुए नृत्य आरम्भ कर देती है। पराग की गंध अथवा मक्खी की देह से चिपका हुआ मधुरस उन्हें यह सूचित करेगा कि उन्हें क्या खोजना है।
यदि आकाश मे कहीं भी नीले रंग का कोई धब्बा दिखाई देता है तो मधुमक्खी उस समय तक घुमती रहती है जब तक ध्रुवण का पैटर्न बिल्कुल वैसा ही नहीं हो जाता जैसा आकाश के सबसे चमकीले भाग के प्रकाश से बनता है। उस समय मधुमक्खी यह जान लेती है कि सूर्य उसके एकदम विपरीत दिशा में है।