जुगनू क्यों चमकता है?
जुगनू का चमकना वास्तव में एक रासायनिक प्रक्रिया है जो उसकी श्वसन-क्रिया से जुड़ी हुई है। जुगनू के द्वारा भीतर सांस खींचे जाने पर यह चमकने लगता है और सांस बाहर आने पर बुझ जाता है। इसके प्रकाशक अंग पेट के पांचवें, छठें और सातवें खंड पर स्थित होते हैं। इन अंगों में दो पदार्थ, लुसीफेरीन ओर लुसीफेरेज़ होते हैं। लुसीफेरीन एक प्रोटीन है और लुसीफेरेज़ एक एंज़ाइम। लुसीफेरीन, ऐडीनोसिन ट्राइफॉस्फेट के साथ लुसीफरेज़ एंज़ाइम की उपस्थिति में वायु के ऑक्सीजन के सम्पर्क में आने पर चमक उठता है। लुसीफेरेज़ इस प्रक्रिया में उत्प्रेरक का कार्य करता है। लुसीफेरीन का एक अणु ऑक्सीकृत होकर एक क्वांटम प्रकाश उत्पन्न करता है।
लुसीफेरीन गरम होकर नष्ट नहीं होता। यदि इसमें अवकारक मिला दिया जाए तो लुसीफेरीन पुनः बन जाता है। जुगनू में ऑक्सीकरण तथा अवकरण की क्रिया क्रमशः चलती रहती है और जन्तु प्रकाश उत्पन्न करते रहते हैं। प्रकाशक अंग पर यदि बाहर से तेज़ प्रकाश पड़े तो प्रकाशोत्पादन अवरुद्ध हो जाता है। जुगनू की चारों अवस्थाओं-अंडा, लारवा – (प्यूपा ) और वयस्क में प्रकाश उत्पन्न होता है ।