हम कुछ बातें क्यों भूल जाते हैं?
जो जानकारी हम विभिन्न इन्द्रियों द्वारा ग्रहण करते हैं, वह मस्तिष्क में प्रोटीन श्रृंखलाओं के रूप में संचित हो जाती है। एक प्रोटीन-अणु एक शब्द को संचित करने का कार्य करता है। जब मस्तिष्क में सकेंतों के रूप में कोई जानकारी पहुंचती है तो विभिन्न प्रकार की रासायनिक क्रियाएं होती हैं, जिनसे प्रोटीन के अणुओं की संरचना बदलती है। मस्तिष्क में लगातार संकेतों के पहुंचने से बार-बार एक-जैसी रायायनिक क्रियाएं होती हैं, जिनके परिणामस्वरूप वह जानकारी मस्तिष्क में स्थायी हो जाती है। प्रथम और द्वितीय स्तरों मे संचित बातें बहुत शीघ्र ही विस्मृत हो जाती हैं, जबकि पांचवें से सातवें में संचित बातें स्थायी रूप में जम जाती हैं। एक ही बात को बार-बार दुहराने से वह स्थायी रूप से याद रहती है।
एक दिन में लगभग दस हजार प्रोटीन श्रृंखलाएं टूटती और पुनः बनती हैं। इससे प्रोटीन-श्रृंखलाओं में निहित जानकारी लुप्त हो जाती है। स्मरणशक्ति का स्तर बचपन के प्रारम्भिक और बुढ़ापे के अन्तिम दिनों का छोड़कर लगभग समान ही बना रहता है। स्मरणशक्ति के कमजोर होने के अनेक मानसिक तथा शारीरिक कारण होते हैं, जैसे मस्तिष्क के पोषण में कमी, आकस्मिक दुर्घटना से मस्तिष्क का क्षतिग्रस्त होना, अरूचिकर विषय, शारीरिक अस्वस्थता, क्रोध, भय, चिंता, संवेदनात्मक सूचनाएं आदि।
स्मरणशक्ति बनाए रखने के लिए मस्तिष्क से अनावश्यक, अनुपयोगी, दूषित विचारों तथा तथ्यों का विस्मरण करना चाहिए। डायरी पर नोट करना, विषय को गहरी रूचि से अध्ययन करना, पैराग्राफ बनाकर याद करना, महत्त्वपूर्ण बातों के सूत्र बनाना, मस्तिष्क को थोड़ा अवकाश देना, शारीरिक व्यायाम करना, मस्तिष्क-पोषण के लिए पर्याप्त मात्रा में दूध, बादाम आदि के सेवन से स्मरणशक्ति बढ़ती है।