विद्युत्-रेलगाड़ी कैसे चलती है ?
रेल-पथ के साथ 3 से 4 कि0 मी0 की दूरी पर विद्युत-उप-स्टेशन होते हैं जो रेलवे लाइन के ऊपर तार द्वारा एक ई0 एम0 यू0 कोच के मोटर के पावर-संकोचक को 1,500 डी0 सी0 वोल्टेज की शक्ति का संभरण करते हैं। पावर-संकोचक मास्टर नियंत्रक द्वारा नियंत्रित किये जाते हैं जो ई0 एम0 यू0 में एक जेनेरेटर द्वारा उत्पन्न कम शक्ति वाली धारा द्वारा प्रचालित होते हैं। संकोचक प्रतिरोध की एक श्रेणी द्वारा कर्षण-मोटरों को वोल्टेज पहुंचाता है जो इस वोल्टेज को कम करके धारा के प्रवाह को नियंत्रित करता हैं।
मोटर प्रत्यक्षतः धुरी के ऊपर लगे होते हैं। धुरी गिअर-प्रणाली की सहायता से चलती है जिसके परिणाम में संचलन होता है और रेलगाड़ी में त्वरण तथा गति होती है। विद्युत रेलगाड़ी का एकरूप प्रयोग एक असफल-असुरक्षित संकेत-प्रणाली पर आधारित है।