गुदगुदाने से हँसी क्यों उत्पन्न होती है ?
ऐसा विश्वास किया जाता है कि मस्तिष्क में एक हास्य केन्द्र होता है जो हँसी आरम्भ व नियंत्रित करता है। यह केन्द्र सातवीं व दसवीं कपाल-तंत्रिकाओं और ग्रीवा-क्षेत्र में स्थित सुषुम्ना की मध्यकक्षी तंत्रिका से संयोजित होता है। सातवीं कपाल-तंत्रिका (आनन-तंत्रिका) मुख की मांसपेशियों और लैंरिक्स को जानने वाली दसवीं वेगस तंत्रिका कंठ, श्वसनी तथा मध्यकक्ष को पहुँचती है जो उदर में डायाफ्राम की मांसपेशियों तक जाती है। हँसी की अवधि में इन मांसपेशियों और हँसी-केन्द्रों में सम्पूर्ण समन्वय होना आवश्यक है। इस केन्द्र को उत्तेजित करने से हँसी उत्पन्न होती है। अनेक उद्दीपकों से, जैसे हास्यरसात्मक वृतांतों को देखने या पढ़ने से, हँसी-केन्द्र उत्तेजित करने से हँसी उत्पन्न होती है। अनेक उद्दीपकों से, जैसे हास्यरसात्मक वृत्तांतों को देखने या पढ़ने से, हँसीकेन्द्र उत्तेजित होता है। पसली की ओर गुदगुदाने से निचले भाग में संवेदी उद्दीपन होता है। इन भागों से आने वाले आवेग हँसी-केन्द्र को उत्तेजित करके हँसी उत्पन्न करते हैं। मनुष्य की भांति चिम्पेंजी, गोरिल्ला और ओरांगउटांग को गुदगुदाने से भी हँसी उत्पन्न होती है।