पित्ताशय मे पत्थर कैसे बनते हैं?
स्तनपायी जन्तुओं में तरल पित्त यकृत में उत्पन्न होकर पित्ताशय में एकत्र हो जाता है जहां यह सात गुणा सांद्र हो जाता है। प्रत्येक वसा वाले आहार के पश्चात् पित्ताशय से पित्त आमाशय में पहुंचता है। इमल्शन द्वारा भोजन के उचित अवशोषण के लिए वसा-भाग को विलेय करने लिए पित्त की आवश्यकता पड़ती है। कॉलिक अम्ल, डीऑक्सीकॉलिक अम्ल कीनोडी ऑक्सीकॉलिक अम्ल, लियोकॉलिक अम्ल के लवण व कोलेस्टेरॉल के अतिरिक्त बिलीरूबिन, आकार्बनिक आयन और प्रोटीन पित्त के मुख्य घटक हैं। ऐसा विश्वास किया जाता है कि कुछ अपसामान्य शरीरक्रियात्मक अवस्थाओं में पित्त में कोलेस्टेरॉल को रोकने की क्षमता समाप्त हो जाती है जिसके कारण स्टेरॉल का पित्ताशय में संकुचन हो जाता है। अंग के आवर्ती संकुचन से स्टेरॉल के कण एकत्र होकर एक ढेर में परिवर्तित हो जाते हैं जिसे पत्थर कहते हैं। पित्ताशय के दाब की अवधि में कुछ कोलेस्टेरॉल-कण पित्त नली में प्रवेश कर जाते हैं और मार्ग को बन्द कर देते हैं। इस प्रकार पित्ताशय का पत्थर एक संपीड़ित कोलेस्टरॉल है।