लाजवन्ती (छुई-मुइ) की पत्तियाँ छूने से बन्द क्यों हो जाती है?
इमली जैसे पत्तीदार पौधों में प्रकाश, ऊष्मा, स्पर्श, रासायनिक पदार्थ आदि बाहरी उद्दीपकों से अस्थायी परिवर्तन होते हैं। इसे हम आशुनता कह सकते हैं जिनके प्रभाव से जल का अन्दर-बाहर विसरण परिणामस्वरूप कोशिकाएँ फूलती व सिकुड़ती हैं। वास्तव में होता पौधों के डंठल (पर्णवृत्त) पर, पत्ती के तने के साथ जुड़ने के स्थान पर, डंठल की आधारभूत गांठ-जैसी कोशिकाओं में बाहरी उद्दीपकों से जल का अवशोषण होता है। इससे पत्तियों पर तनाव घट जाता है। तनाव कम होने पर पत्तियाँ सिकुड़ जाती हैं। कोशिकाओं में आशूनता से परिवर्तन की क्रियाविधि अभी स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है।
प्रकाश के उद्दीपन से कमल के पुष्प की पंखुड़ियों के आंतर निकटवर्ती एपिडर्मल कोशिकाओं में आसपास की कोशिकाओं से जल के अवशोषण से उत्पन्न तनाव के कारण पंखुड़ियाँ वक्रता में खुल पाती हैं। रात्रि में पंखुड़ियों के बाहर आसपास की कोशिकाओं के तनाव में वृद्धि के परिणामस्वरूप में ये अन्तः स्थ वक्रता में बन्द हो जाती है।
स्पर्श के उद्दीपन से लाजवन्ती अर्थात् छुईमुई (माइमोसा प्यूडिका) के पीनाधार के निचले अर्द्धभाग की कोशिकाओं से जल ऊपर आंतरकोशिका-भाग में चला जाता है। जल के सोखने से यह भाग फूल जाता है और तनाव की अवस्था में आ जाता है, जबकि नीचे वाला अर्द्धभाग शिथिल हो जाता है। छोटी पत्ती और पीनाधार का भाग डंठल को नीचे की ओर दबाता है, इससे शिथिल कोशिकाएँ सिकुड़ जाती हैं। और पत्तियाँ मुरझा जाती हैं। कुछ समय पश्चात् नीचे के अर्द्धक्षेत्र की कोशिकाएँ आसपास की कोशिकाओं से जल सोखती हैं और पत्तियाँ अपनी सामान्य अवस्था में आ जाती हैं। यह क्रियाविधि कोशिकाओं में उपस्थित प्रोटीन के जलयोजन और निर्जलीकरण पर आधारित है। अब तक यह ज्ञात नहीं है कि इस पौधे के छूने से पतली भित्ति वाली कोशिकाओं से जल तने में क्यों दौड़ता है।