सौर ऊर्जा
Solar Energy
सौर ऊर्जा सब प्रकार की ऊर्जाओं का मूल स्रोत है। यह कभी न चुकने वाली मुफ्त, प्रदूषणरहित ऊर्जा है जो मनुष्य की ऊर्जा मांग की पूर्ति करने में समर्थ है। सूर्य द्वारा उत्पन्न कुल ऊर्जा का केवल दस लाखवाँ अंश ही पृथ्वी पर पहुंच पाता है। किन्तु यह अंश समस्त ज्ञात जीवाश्म (फोसिल) ईंधन से साल भर में प्राप्त ऊर्जा से 5-10 गुना अधिक है। इस दृष्टि से भारत भाग्यशाली है सूर्य का प्रखर प्रकाश पाने के कारण। सूर्य सर्वत्र चमकता है चाहे शहर हो या गांव। पृथ्वी पर पहुंचने वाली सूर्य किरणो की सघनता पृथ्वी के धरातल पर 100 किलोवाट/वर्गमीटर है। यदि इस ऊर्जा को हम संचित कर सकें (संचायक द्वारा), तो हमें बड़ा लाभ हो सकेगा।
बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा के कई प्रकार के उपयोग ज्ञात हैं-सोलर पावर टावर, सौर फार्म, सौर उपग्रह विद्युत केन्द्र, सौर चुम्बक द्रव गतिकीय संयन्त्र (सोलर एम.एच.डी. प्लांट) आदि ।
छोटे पैमाने पर गांव के इलाकों में पीने का पानी प्राप्त करने या सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए सौर पम्प और सौर इंजन बनाए जा सकते हैं। धान, चना, मछली, मिर्च, चाय, नारियल आदि कृषि उपजों को सुखाने के लिए सौर शुष्कों की जरूरत होगी। समुद्र के खा जल को मीठा बनाने और सोलर कुकर (सौर चूल्हे) द्वारा खाना बनाने में सौर ऊर्जा अत्यन्त लाभप्रद सिद्ध हो सकती है। पानी गरम करने के लिए सौर जल उष्मक बनाए जा सकते हैं।
सौर ऊर्जा को सीधे बिजली में भी बदला जा सकता है। यह कार्य सौर सेल या फोटो वोल्टेक सेल द्वारा सम्पन्न किया जाता है। अन्तरिक्ष में लगभग 30 वर्षों से फोटो वोल्टैक सेलों का उपयोग किया जा रहा है, परन्तु सौर सेल की एक बड़ी कठिनाई इनकी ऊंची कीमत है।
सौर ऊर्जा के भण्डारन के भी प्रयास चल रहे हैं, जिसमें एकत्र की गई ऊर्जा सूर्य की अनुपस्थिति में काम में लाई जा सके।
क्या सौर ऊर्जा का उपयोग सरल होगा?
आस्ट्रेलिया, जापान तथा संयुक्त राज्य अमरीका में सौर ऊर्जा पर आधारित टेक्नालाजी का विकास हो चुका है। भविष्य में खाद बनाने, अन्न सुखाने तथा पानी गरम करने में सौर ऊर्जा का उपयोग होगा।
सोलर कुकर में विशेष रूचि के कारण देश में कई तरह के सोलर कुकर बन चुके हैं और काम में भी लाए जा रहे हैं।