सायनाइड से तुरन्त मृत्यु कैसे हो जाती है?
जीवन के समस्त प्रक्रमों को ऊर्जा के निरन्तर संभरण की आवश्यकता पड़ती है। यह ऊर्जा खाद्य के अणु (ग्लूकोज़) के ऑक्सीकरण से प्राप्त होती है। ऑक्सीकरण-प्रक्रम में साइटोक्रोम ऑक्सीडेज़ एन्ज़ाइम की उपस्थिति में खाद्य-अणुओं से इलैक्ट्रॉन हटाने और उन्हें ऑक्सीजन-अणु देने की अवस्थाओं के मध्य कार्य करता है। इन दोनों अवस्थाओं में सायनाइड आयन की लोहे से अधिक बंधता होती है। इस स्थिति में एन्ज़ाइम निष्क्रिय हो जाता है और जीवन के दीर्घ-कालिक प्रक्रम है। ऊर्जा-संभरण के वंचित होने से जीवन तुरन्त रुक जाता है।