जब ट्यूबलाइट यर्थाथतः कार्य नहीं करती तो पिक-पिक की ध्वनि क्यों सुनाई देती है ?
ट्यूबलाइट के स्टार्टर में एक छोटा-सा दीप्ति-विसर्जक लैम्प होता है जिसमें दो इलैक्ट्रोड और एक द्विधात्वीय स्ट्रिप होती है। सामान्यतः यह स्ट्रिप ठंडी होती है। जब स्विच बन्द होता है तो स्टार्टर इलैक्ट्रोड के मध्य में एक दीप्ति-विसर्जक द्विधात्वीय स्ट्रिप को गरम करता है जिसके कारण यह मुड़ जाता है और स्टार्टर-इलैक्ट्रोड छोटा हो जाता है। अब ट्यूबलाइट में एक विद्युतधारा का प्रवाह आरम्भ हो जाता है और इलैक्ट्रॉन मुक्त होते हैं। इस समय स्टार्टर में दीप्ति-विसर्जन बन्द हो जाता है और द्विधात्वीय स्ट्रिप ठंडी हो जाती है। कुछ समय पश्चात् स्टार्टर- इलैक्ट्रोड के मध्य संपर्क टूट जाता है और फिलामेंट में धारा का विघ्न हो जाता है। उच्च प्रेरक चोक 1000 वोल्ट की विद्युतधारा विकसित करती है और ट्यूबलाइट के तुतुओं के मध्य अंतराल को समाप्त करती है।
चाप-तंतु एक पिक की ध्वनि के साथ आघात करता है। जब ट्यूबलाइट यथार्थतः कार्य करती तो चाप निरन्तर चिपकी नहीं होती। चाप प्रविदारित होती है और स्टार्टर-इलैक्ट्रोड आपस में जुड़कर चाप को पुनः पिक ध्वनि के साथ आघात करने की स्थिति उत्पन्न करता है। क्योंकि यह क्रम बार-बार होता है, हम ट्यूबलाइट के प्रकाश कंपन के साथ पिक-पिक की ध्वनि सुनते हैं।