इन्द्रधनुष क्या है और कैसे इसका निर्माण होता है ?
बरसात के दिनों में कभी-कभी सवेरे या सन्ध्या के समय, जब आकाश में बादल छाये रहते हैं तो धनुष के आकार की एक लटकी हुई रंगीन चीज़ बादलों के ऊपर दिखाई पड़ती है। उसी रंगीन चीज़ को इन्द्रधनुष कहते हैं।
इनद्रधनुष सदा उसी समय दिखाई पड़ता है जब सूर्य पीठ की ओर और बादल सामने की ओर रहते हैं।
यदि इन्द्रधनुष के रंगों को गिना जाये, तो उसमें सात रंग साफ-साफ दिखाई पड़ेंगे। इन्द्रधनुष क्या है? उसमें दिखाई पड़ने वाले सातों रंग कहां से आते हैं?
सूर्य की किरणों में सात रंग होते हैं। वे किरणें जब त्रिपार्श्व पर पड़ती हैं तो मुड़ जाती है। उनके मुड़ने से सामने की दीवार पर एक रंगीन पट्टी-सी पड़ जाती हैं उस पट्टी में किरणों के रंग साफ-साफ और अलग-अलग दिखाई पड़ने लगते हैं। बादलों के नीचे एक त्रिपार्श्व होता है। वह त्रिपार्श्व है, बादलों से बरसती हुई छोटी-छोटी बूंदें ।
सूर्य की किरणें बरसते हुए पानी की छोटी-छोटी बूंदों पर पड़ती हैं। उन बूंदों पर पड़ने के कारण वह अलग-अलग हो जाती हैं, और कुछ झुक जाती है। इसके परिणामस्वरूप उनके सातों रंग भी अलग-अलग हो जाते हैं। वे सातों रंग जब-जब लटकती हुई किरणों में एक क्रम हो जाते हैं, तो इन्द्रधनुष दिखाई पड़ता है।
इन्द्रधनुष बूंदों और सूर्य की किरणों से ही बनता है। किरणें पहले विरल बूंदों में प्रवेश करती हैं। फिर उसके बाद सघन बूंदों में जाती हैं। इस तरह विरल से सघन बूंदों में जाने से किरणें अपने रास्ते से झुक जाती फलतः उनके सातों रंग अलग-अलग होकर एक क्रम में दिखाई पड़ने लगते हैं।
किरणों के सातों रंग हवा के जिस मण्डल में पड़ते हैं, वह उन्हें ज्यों का त्यों लौटा देता है। यदि हवा का मण्डल रंगों को लौटा न देता, हमें इन्द्रधनुष दिखाई न देता ।