गति का सिद्धांत
Principle of Motion
ध्वनि, प्रकाश तथा ताप की भौतिक घटनाओं में गति की कल्पना आरम्भ से ही कर ली गई थी। यह गति अणुओं में ही नहीं, परमाणुओं में भी बताई गई।
अपनी गणनाओं को सही करने के लिए भारतीयों ने देश व काल के अत्यन्त छोटे मापों की कल्पना की। काल का परमाणु एक सेकेण्ड के 33750वाँ भाग समझा गया। सूर्यरश्मि की मोटाई एक इंच के 349525 वें भाग बताई गई।
द्रव व ऊर्जा के सम्बन्ध में प्राचीन भारतीयों ने जो विचार दिये, इनमें से कुछ को विज्ञान के प्रसार में वास्तविक योग कहा जा सकता है। प्रकाशिकी उद्योतकर ने बताया था कि पारभाषिता, अपारदर्शिता, छाया आदि की घटनायें किस प्रकार होती हैं।
आपात कोण को परिवर्तन कोण के बराबर माना गया था। ऐसा यूनानियों का भी विचार था ।