कैसे पानी से हाइड्रोजन गैस को बना कर भविष्य में ऊर्जा संकट से बचा जा सकता है।
पृथ्वी पर जल ही जल है और यह जल अनन्त ऊर्जा का स्रोत है। यदि जल में से विद्युत प्रवाहित की जाती है तो वह आक्सीजन तथा हाइड्रोजन इन दो गैसों में विच्छिन्न हो जाता है। सौर ऊर्जा द्वारा भी जल को विच्छिन्न करके हाइड्रोजन गैस प्राप्त की जा सकती है। प्रकाश संश्लेषण से तथा कुछ जीवाणुओं के प्रयोग द्वारा भी हाईड्रोजन प्राप्त की जा सकती है। कुछ शैवाल भी हाइड्रोजन मुक्त करते हैं।
इस प्रकार से प्राप्त हाइड्रोजन को वायुयानों में, उर्वरक उद्योगों में ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। ईंधन के रूप में इसका उपयोग करने के कई लाभ हैं-इसे सिलिंडरों में भरकर भविष्य के लिए संग्रह किया जा सकेगा, कम खर्च पर पाइप द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकेगा और ईंधन के रूप में इसके जलने से फिर पानी बनेगा जिससे प्रदूषण की कोई गुंजाइश नहीं रहती ।
हाइड्रोजन हवा से हल्की है और गैसालीन से तीन गुना अधिक ऊर्जा दे सकती है। इस गैस की विशेषता है कि कुछ धातुओं के साथ मिलकर धातु-हाइड्रोइड बनाती है और इस तरह उन धातुओं के साथ संग्रह हो जाती है। यह गुण हाइड्रोजन गैस के भण्डारण में लाभप्रद है। इन हाइड्राइडों से आवश्यकतानुसार उपयोग के लिए हाइड्रोजन प्राप्त की जा सकती है। इस तरह गैस के भण्डारण मे अपेक्षाकृत कम स्थान लगता है। हां, इससे भार बढ़ जाता है, इसलिए जमीन पर ही इस ईंधन का इस्तेमाल हो सकता है। अन्तरिक्ष में इसका प्रयोग नहीं हो सकेगा। वैसे अनुमान है कि लिथियम हाइड्राइड का उपयोग वायुयानों में किया जायेगा। यह ई न वायुयान के पंखों पर नहीं अपितु फ्यूसलेज पर रखा जायेगा जिससे दुर्घटना के समय यात्रियों के जल मरने की आशंका कम हो जायेगी।
अभी हाइड्रोजन गैस का अधिकांश प्राकृतिक गैस से विशेषता मीथेन से प्राप्त किया जाता है। जल से हाइड्रोजन प्राप्त करने में बिजली का खर्च होता है। कागज तथा लकड़ी के बुरादे को सड़ाने पर जीवाणुओं की सहायता से हाइड्रोजन बनाई जा सकती है।
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सन् 2000 तक पारम्परिक ईंधनों के समाप्त होने का अनुमान अतएव उस दशा में हाइड्रोजन मानव सेवा में काम आ सकती है। सम्भावना यही है कि यह भविष्य का ईंधन बनें।